धर्म और संस्कृति की मान्यता जिस समाज में है, वह समाज अपना कर्तव्य जानता है और साथ ही साथ यह भी जानता है कि कर्तव्य पर आचरण किस प्रकार किया जाये ऐसा समाज जीवित है, वह स्वावलम्बी है। ~पूज्य तन सिंह जी